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नागदा - नवीन श्रमिक बील के प्रावधानों के तहत तीन हजार ठेका श्रमिकों को कार्य से बन्द नहीं कर सकता ग्रेसिम उद्योग ?



Nagda(mpnews24)।   भारत सरकार के श्रम मंत्रालय द्वारा बुधवार को संसद में नवीन लेबर बीलों को ध्वनि मत से पारित कर दिया है। इन बीलों में जिस प्रकार के प्रावधान किए गए है उसके अनुसार 300 से कम श्रमिक वाली कंपनिया अब अपनी मनमर्जी से श्रमिकों की संख्या में कमी कर सकेगी। इसके लिए उन कंपनियों को सरकार की ईजाजत लेना जरूरी नहीं होगा। वहीं दुसरी और कोरोना संक्रमण काल में कार्य पर नहीं बुलाऐ जाने की व्यथा से जुझ रहे ग्रेसिम उद्योग में कार्यरत 3500 ठेका श्रमिकों के लिए यह बील कारगर भी साबित हो सकता है, क्योंकी नवीन प्रावधानों के तहत 300 से कम संगठित एवं संगठित वर्करों वाली कंपनियाॅं ऐसा कर सकती है जबकि ग्रेसिम उद्योग प्रबंधन द्वारा 3500 ठेका श्रमिकों को एक साथ कार्य पर आने से रोक दिया है। ऐसे में उद्योग के श्रमिक कानूनन रूप से अपना हक मांग सकते हैं। ऐसे में ठेका श्रमिकों को उनका हक दिलवाने तथा केन्द्र सरकार के प्रावधानों का पालन कराने की जिम्मेदारी भी अब स्थानिय भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर आ गई है। ऐसे में देखना है कि भाजपा के नेता अपनी ही सरकार के प्रावधानों को स्थानिय उद्योग में कितना पालन करवा पाते है।

कोरोना संक्रमण काल के नाम पर कार्य पर नहीं बुला रहा उद्योग
गौरतलब है कि मार्च 2020 के पूर्व ग्रेसिम उद्योग में सुचारू उत्पादन प्रक्रिया को अंजाम दिया जा रहा था। लेकिन कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते केन्द्र सरकार द्वारा लागू किए गए लाॅकडाउन के चलते उद्योग में उत्पादन प्रक्रिया को बन्द कर दिया गया था। अनलाॅक के बाद उद्योग प्रबंधन ने धीरे-धीरे स्थायी श्रमिकों को तो कार्य पर बुला लिया लेकिन 3500 ठेका श्रमिक आज भी कार्य पर नहीं बुलाऐ गए है। ऐसे में विगत 6 माह से ठेका श्रमिक बिना कार्य के घर पर बैठे हुए है। इस पुरे मामले में सांसद अनिल फिरोजिया, पूर्व कर्मकार मण्डल अध्यक्ष सुल्तानसिंह शेखावत, पूर्व विधायक दिलीपसिंह शेखावत द्वारा उज्जैन में जिला कलेक्टर एवं अन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी लेकिन मामले का हल नहीं निकला। इसके बाद कांग्रेस द्वारा विधायक दिलीपसिंह गुर्जर के नेतृत्व में नागदा बन्द करवाया गया तथा हाल ही में पूर्व विधायक शेखावत द्वारा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान के उज्जैन आगमन पर ठेका श्रमिकों को ग्रेसिम उद्योेग प्रबंधन द्वारा कार्य पर नहीं बुलाऐ जाने के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। लेकिन इन सब कवायदों के बाद भी ठेका श्रमिकों को प्रबंधन द्वारा कार्य पर नहीं बुलाया जा रहा है।

360 टन प्रतिदिन उत्पादन कर रहा उद्योग
मामले में सुत्रों का कहना है कि ग्रेसिम उद्योग एक और तो कोरोना संक्रमण काल में मंदी की बात कर रहा है वहीं दुसरी और उद्योग द्वारा धीरे-धीरे अपनी उत्पादन प्रक्रिया को 360 टन पर पहुॅंचा दिया है। जबकि उद्योग के पास वर्तमान में लायसेंस ही 395 टन उत्पादन का है। ऐसे में उद्योग ने अपनी 90 से 95 प्रतिशत क्षमता के साथ उत्पादन प्रक्रिया चल रही है, लेकिन ठेका श्रमिकों को कार्य पर नहीं बुलाया जा रहा है। जिसका लेकर उद्योग प्रबंधन की मंशा अब ठीक नहीं दिखाई दे रही है।

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इन बीलों को मिली है मंजूरी

राज्यसभा में बुधवार को तीन लेबर कोड बिलों को पारित कर दिया गया है। इन तीनों बिल को पूर्व में लोकसभा में पारित किया गया था। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएंगे। सरकार का दावा है कि यह बिल श्रम क्षेत्र में बड़े सुधार लाएंगे। इनमें ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल- 2020, इंडस्ट्रियल रिलेशन बिल- 2020 और सोशल सिक्योरिटी बिल- 2020 शामिल हैं।

इंडस्ट्रियल रिलेशन बिल- 2020
इस विधेयक में कंपनी का अधिकार बढ़ेगा, जिन कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या 300 से कम है, वे सरकार से मंजूरी लिए बिना ही कर्मचारियों की छंटनी कर सकेंगी। इससे पूर्व ऐसा वे कंपनियां कर सकती थीं, जिनमें 100 से कम कर्मचारी हों। छंटनी की इजाजत उन्हीं को दी जाएगी, जिनके कर्मचारियों की संख्या पिछले 12 महीने में हर रोज औसतन 300 से कम ही रही हो। सरकार अधिसूचना जारी कर इस न्यूनतम संख्या को बढ़ा भी सकती है. नए कानून के अनुसार कोई भी कंपनी, फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों को सजा देने, निकालने, प्रमोशन में पक्षपात जैसे नियम पूरी तरह से कंपनी के हाथों में आ जाएगें।

ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल- 2020
यह बिल कंपनियों को छूट देगा कि वे अधिकतर लोगों को कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर नौकरी दे सकें, साथ ही कॉन्ट्रैक्ट को कितनी भी बार और कितने भी समय के लिए बढ़ाया जा सकेगा, इसके लिए कोई सीमा तय नहीं की गई है। वो प्रावधान भी अब हटा दिया गया है, जिसके तहत किसी भी मौजूदा कर्मचारी को कॉन्ट्रैक्ट वर्कर में तब्दील करने पर रोक थी। महिलाओं के लिए वर्किंग आवर (काम के घंटे) सुबह 6 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच ही रहेगा. शाम 7 बजे शाम के बाद अगर काम कराया जा रहा है, तो सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की होगी। कोई भी कर्मचारी एक हफ्ते में 6 दिन से ज्यादा काम नहीं कर सकता. ओवरटाइम पर ज्यादा पेमेंट करना होगा तथा बिना अप्वॉइंटमेंट लेटर के किसी की भर्ती नहीं होगी।
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