Nagda(mpnews24)। पूर्व ब्लाॅक मेडिकल आॅफिसर एवं वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ. संजीव कुमरावत ने चर्चा में बताया कि भारत मे कोरोनावाइरस की जांच के लिये पेपर बेस्ड डायग्नोस्टिक किट का इस्तेमाल शुरु डीसीजीआई ने इसके सार्वजनिक इस्तेमाल की अनुमति दी।
डाॅ. कुमरावत ने बताया कि इस किट में समय और किमत दोनो कम लगेगें एक घंटे के अंदर रिपोर्ट संबंधित की रिर्पोट प्राप्त हो जाऐगी और इसकी अनुमानित लागत मात्र 500-600 रूपये आऐगी। उन्होंने बताया कि यह शुद्ध भारतीय खोज है।डाॅ. कुमरावत ने बताया कि पश्चिम बंगाल के दो प्रतिभाशाली वैज्ञानिक सौविक मैती और देवज्योति बनर्जी (सीएसआईआर) ने इस टेक्नोलॉजी की खोज की है। इस किट को सीएसआईआर, आईसीएमआर एवं टाटा कम्पनी के साथ मिलकर इसका प्रोडक्शन शुरु किया है। इस टेस्ट का नाम फेलुदा टेस्ट है। इसका फुलफार्म एफएन ऐडीटर लिंक्ड यूनिफार्म डिटेक्शन ऐसे है। साथ ही इसके नाम को प्रसिद्ध साहित्यकार सत्यजित रे के जासूसी पात्र से भी जोड़ा गया है। रे के उपन्यासों मे फेलूदा नामक एक जासूस है जो हर समस्या का हल चुटकी मे निकाल देता है। इस टेस्ट मे लार या ब्लड के सेम्पल से आरएनए निकाल कर इसे पेपर पर डालेंगे, अगर दो बेंड आये तो मरीज पाजिटिव है।
डाॅ. कुमरावत ने बताया कि इस टेस्ट की विश्वसनीयता 96 प्रतिशत है, मतलब यह सही जानकारी देगा। इस टेस्ट में क्रिस्पर टेक्नोलॉजी से सीएएस-9 (क्रिस्पर ऐशोसिएट प्रोटीन 9) का उपयोग करते है। भारत ने पहली बार सीएएस-9 का उपयोग किया है। दुनिया के अन्य देश सीएएस-19 और सीएएस-13 का उपयोग करते है। वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कि ध्यान दे, यह टेस्ट प्रिगनेंसी टेस्ट जैसे आप घर पर नही कर सकते है, इसके लिये आपको पैथालॉजी लेब जाना होगा।
डाॅ. कुमरावत ने बताया कि भारत ने अभी तक साढे छह करोड़ टेस्ट किये है यानि प्रति दस लाख लगभग 48 हजार टेस्ट, वही ब्राजील ने प्रति दस लाख 70 हजार और अमेरिका ने प्रति दस लाख तीन लाख टेस्ट किये है। भारत को जनसंख्या के मान से टेस्ट की संख्या बढाना अत्यंत आवश्यक है.ऐसे मे फेलूदा कम खर्च, कम समय में, विश्वनीय जानकारी देगा। यह कोविड कंट्रोल मे टर्निंग पाइंट साबित होगा।
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