प्रेषित पत्र में श्री यादव ने इस बात का उल्लेख किया है कि कोरोना के कारण बन्द किया गया ग्रेसिम उद्योग 5 अगस्त से सुचारू प्रारंभ कर दिया गया है, लेकिन इस उद्योग में कार्यरत 3500 ठेका श्रमिको को काम पर नहीं रखा गया है तथा स्थायी 1750 श्रमिको में से आधे श्रमिको को काम पर रखकर शेष को काम होने पर रखा जाता है। इस विषय में एसडीएम नागदा का स्पष्ट कहना है कि उद्योग को शत-प्रतिशत चलाने की अनुमति दे दी है तथा वर्तमान में उद्योग भी 70-80 प्रतिशत चल रहा है। प्रबंधक ग्रेसिम अवैधानिक तरीके से मजदूरों को काम व वेतन नहीं देकर ‘कोरोना काल‘ का लाभ उठा रहा है जो अनैतिक भी है। सीपीआई द्वारा 18 अगस्त को जिला प्रशासन को भी पत्र के माध्यम से सभी ठेका व स्थायी श्रमिको को काम पर रखने की मांग रखी थी। नागदा स्थित अन्य उद्योग भी ग्रेसिम उद्योग का अनुसरण कर सभी मजदूरों को काम व वेतन नहीं दे रहे है। ग्रेसिम उद्योग को चलते हुए साढ़े चार माह हो गये और इतने ही दिनों से मजदूर बिना काम व बिना वेतन के घर पर भुखा बैठा है। नागदा में सभी राजनीतिक दल, सभी नेता, सभी मजदुर संगठन, नागदा के व्यापारीगण एक स्वर में ज्ञापन व नागदा बन्द आदि से मांग कर रहे है कि जब उद्योग शुरू है तो सभी को काम देना चाहिए। श्रम विभाग मौन साधे क्यों पड़ा है ?
श्री यादव ने कहा कि ग्रेसिम उद्योग आदित्य बिरला ग्रुप का होकर मालिक कुमार मंगलम् बिरला है, कुमार मंगलम् बिरला ने छिन्दवाड़ा में हिरा खदान 50 वर्ष के लिये लीज पर ली है। इस खदान के शुरू होने पर एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष 1000 करोड़ रूपये कमाई होगी। जबकि एक हजार करोड़ से ज्यादा कमाई प्रतिवर्ष ग्रेसिम से होती है। श्री यादव ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि ग्रेसिम उद्योग के श्रमिको की समस्या को तुरन्त हल करे। सभी स्थायी व सभी ठेका श्रमिको को काम दिया जाये तथा पिछले बन्द के दिनो का पुरा वेतन भुगतान अविलम्ब किया जाये तथा प्रबंधक को अवैधानिक व अनैतिक व अन्याय करने से रोका जाय।
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