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नागदा - पूर्व नपाध्यक्ष मालवीय ने एक हजार ठेका श्रमिकों को प्रदान की खाद्यान्न कीट कम्युनिटी हाॅल में हजारों श्रमिकों ने एकत्रित होकर प्राप्त की सामग्री, भाजपा नेता भी थे उपस्थित



Nagda(mpnews24)।   कोई कह रहा है कि महामारी के नियमों का उल्लंघन कर दिया, कोई कह रहा है कि इन्हें कोरोना संक्रमण की फीक्र नहीं, लेकिन एक शख्स जिसे करीब मजदूरों के पेट की आग की फीक्र सता रही थी वह इन सब बातों को दरकिनार कर अपने स्वयं के व्यय पर हजारों ठेका श्रमिकों को खाद्यान्न सामग्री कीट बांटने के लिए आगे आया है। जबकि उन्हीं की पार्टी के ऐसे कई जनप्रतिनिधि हुए है जिन्होंने पाॅंच वर्षो तक सत्ता की मलाई खाई लेकिन जब शहर के नागरिकों के लिए कुछ करने की बारी आई तो वह घरों में दुबक गए। लेकिन पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अशोक मालवीय जिन्हें उन्हीं की पार्टी के लोग हाशिये पर पहुॅंचाने में लगे हुए है ने अपनी दृढ इच्छाशक्ति के बल पर ग्रेसिम उद्योग की हठधर्मिता का शिकार 3500 ठेका श्रमिकों की मदद के लिए आगे आए हैं तथा उन्हें 500 रूपये लागत की खाद्यान्न कीट प्रत्येक श्रमिक को प्रदान कर रहे है। ऐसे ही 1000 के लगभग ठेका श्रमिकों को बुधवार को मालवीय द्वारा खाद्यान्न कीट का वितरण नगर पालिका के कम्युनिटी हाॅल में किया गया। जिसमें भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं ने शिरकत की। कार्यक्रम में लगभग 1500 से 2000 लोग उपस्थित होने की जानकारी मिली है।
नागदा में उद्योग समूह द्वारा श्रमिकों के साथ की जा रही नाईंसाफी पर सब नेता बडे-बडे दावे करके मगरमच्छ के आंसु बहा रहे थे ऐसे समय में नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष मालवीय उनके लिए मसीहा के रूप में आकर खडे हुए। ठेका श्रमिकों के चुके-चुल्हे की समस्या पर ध्यान देते हुए लगभग 3 हजार पैकेट बांटने का संकल्प लेकर नागदा नगर में भामाषाह के रूप में स्थापित हुए। कार्यक्रम में पूर्व नपा उपाध्यक्ष सज्जन शेखावत, राजेश धाकड, महेश व्यास, धर्मेश जायसवाल, विजय पोरवाल, हरीश अग्रवाल, दिनदयाल चुकरी, प्रकाश जैन आदि उपस्थित थे।

श्रमिकों की मदद का उठाया बीडा
ज्ञातव्य है कि ग्रेसिम उद्योग समुह द्वारा पिछले दिनों बहुत से श्रमिकों को नौकरी पर नहीं लिया तथा बहुत से अधिकारियों को नौकरी से बाहर भी कर दिया। जिसके चले कई श्रमिकों के परिवार भूखों मरने की स्थिति पर आ गए और ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही थी कि कुछ श्रमिक आत्महत्या भी कर सकते है। श्रमिकों को राजनीति से ज्यादा आर्थिक सहयोग की जरूरत इस लाॅकडाउन व छटनी के दौरान थी। लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि ने इन श्रमिकों की चिंता नहीं पाली। तीन हजार श्रमिकों पर लगभग 15 हजार आश्रित लोग थे जो कि भूखों मरने की स्थिति में ऐसे समय में पूर्व नपाध्यक्ष मालवीय द्वारा महती भूमिका निभाते हुए नगर पालिका कम्युनिटी हाॅल में तीन हजार श्रमिकों को एकत्रित कर खाद्यान्न सामग्री के पैकेट बांट दिए। मालवीय के इस काम से एक और पिडित जनता में व नगर में भूरी-भूरी प्रशंसा की जा रही वहीं स्थापित जनप्रतिनिधियों की प्रतिष्ठा को प्रभावित करते हुए उनके चिडा रही है।

कल तक बांधा करते थे तारीफों के पूल, अब कर रहे विरोध
मालवीय द्वारा ठेका श्रमिकों को प्रदान की जा रही खाद्यान्न कीट वितरण कार्यक्रम को लेकर उन्हीं की पार्टी के कुछ लोगों द्वारा कोरोना काल में इसे नियमों का उल्लंघन निरूपित किया जा रहा है। जबकि यही लोग जब मालवीय सत्तासीन थे उनके गुणगान किया करते थे, लेकिन सत्ता जाते ही इन्होंने भी रंग बदल दिया तथा पूर्व नपाध्यक्ष मालवीय द्वारा किऐ गए इस शानदार कार्य में महामारी नियमों का उल्लंघन एवं अन्य नियमों की अवहेलना करने की बात कर रहे हैं लेकिन बीते दिनों अन्य नेताओं द्वारा लाॅकडाउन की जिस पर से धज्जियाॅं उडाई गई उसको लेकर उनके मुॅंह से आज तक एक शब्द नहीं निकला। ऐसे लोगों से अनुरोध है कि नियमों की और देखने के बजाए कभी श्रमिकों के परिवार के मुॅंह की तरफ भी देखें। नियम तोड कर यदि ठेका श्रमिकों के चेहरों पर खुशी आती है तो ऐसे नियम कई बार तोडे जा सकते हैं।
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